परमेश्वर के दैनिक वचन | “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV” | अंश 139

परमेश्वर के सामने अपने आप को शांत करो और उसके वचनों को पढ़ो ताकि तुम परमेश्वर की इच्छा और अपेक्षाओं को समझ सको, और उसको बेहतर जान सको। 💖💖💖

परमेश्वर के दैनिक वचन | “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV” | अंश 139

शैतान और यहोवा परमेश्वर के मध्य वार्तालाप

अय्यूब 1:6-11 एक दिन यहोवा परमेश्‍वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए, और उनके बीच शैतान भी आया। यहोवा ने शैतान से पूछा, “तू कहाँ से आता है?” शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “पृथ्वी पर इधर-उधर घूमते-फिरते और डोलते-डालते आया हूँ।” यहोवा ने शैतान से पूछा, “क्या तू ने मेरे दास अय्यूब पर ध्यान दिया है? क्योंकि उसके तुल्य खरा और सीधा और मेरा भय माननेवाला और बुराई से दूर रहनेवाला मनुष्य और कोई नहीं है।” शैतान ने यहोवा को उत्तर दिया, “क्या अय्यूब परमेश्वर का भय बिना लाभ के मानता है? क्या तू ने उसकी, और उसके घर की, और जो कुछ उसका है उसके चारों ओर बाड़ा नहीं बाँधा? तू ने तो उसके काम पर आशीष दी है, और उसकी सम्पत्ति देश भर में फैल गई है। परन्तु अब अपना हाथ बढ़ाकर जो कुछ उसका है, उसे छू; तब वह तेरे मुँह पर तेरी निन्दा करेगा।” Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV” | अंश 139″

“पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो” | अंश 506

जब आप कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो आपको परमेश्वर के वचनों को पढ़ने की जरूरत है।

जब आप अपना विश्वास खो देते हैं, तो आपको परमेश्वर के वचनों को पढ़ने की आवश्यकता होती है।

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कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम किन घटनाओं और चीजों का सामना करते हैं, हम परमेश्वर के वचनों को पढ़ना नहीं छोड़ सकते।👇👇

परमेश्वर के दैनिक वचन | “पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो” | अंश 506

आज अधिकाँश लोगों के पास यह ज्ञान नहीं है। वे मानते हैं कि दुःख उठाने का कोई महत्व नहीं है, वे संसार के द्वारा त्यागे जाते हैं, उनके पारिवारिक जीवन में परेशानी होती है, वे परमेश्वर के प्रिय भी नहीं होते, और उनकी अपेक्षाएँ काफी निराशापूर्ण होती हैं। कुछ लोगों के कष्ट एक विशेष बिंदु तक पहुँच जाते हैं, और उनके विचार मृत्यु की ओर मुड़ जाते हैं। यह परमेश्वर के लिए सच्चा प्रेम नहीं है; ऐसे लोग कायर होते हैं, उनमें बिलकुल धीरज नहीं होता, वे कमजोर और शक्तिहीन होते हैं! Continue reading ““पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो” | अंश 506″

परमेश्वर के दैनिक वचन | “परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें” | अंश 10

परमेश्वर के दैनिक वचन: कभी भी परमेश्वर के वचनों को पढ़ें, और आप परमेश्वर के और करीब आएँगे 🎬🎬🎬

परमेश्वर के दैनिक वचन | “परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें” | अंश 10

परमेश्वर का भय न मानना और बुराई से दूर न रहना परमेश्वर का विरोध करना है

आज तुम लोग परमेश्वर के आमने-सामने हो, और परमेश्वर के वचन के आमने-सामने हो; परमेश्वर के बारे में तुम लोगों का ज्ञान अय्यूब के ज्ञान की तुलना में बहुत अधिक है। मैं यह बात क्यों कह रहा हूँ? ये बातें कहने का मेरा क्या अभिप्राय है? मैं तुम लोगों को एक तथ्य समझाना चाहता हूँ, लेकिन उससे पहले मैं तुम लोगों से एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ : अय्यूब परमेश्वर के बारे में बहुत कम जानता था, फिर भी वह परमेश्वर का भय मानता था और बुराई से दूर रहता था; लेकिन आजकल लोग ऐसा करने में असफल क्यों रहते हैं? Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें” | अंश 10″

2021 Hindi Christian Testimony Video | एक झूठे अगुआ की रिपोर्ट करने की कहानी

2021 Hindi Christian Testimony Video | एक झूठे अगुआ की रिपोर्ट करने की कहानी

जब मुख्य किरदार को पता चलता है कि कलीसिया की अगुआ मिस ली अपने कर्तव्यों में भेस बदलकर खुद को छिपाने में माहिर है, अक्सर दिखावा करती है, झूठ बोलती है, कोई घटना घट जाने पर अपनी जिम्मेदारियों से बचने के लिए धोखा देती है, वह अगुआ बनने के काबिल है ही नहीं, तो वह मिस ली की समस्याओं की रिपोर्ट करते हुए एक पत्र लिखती है। Continue reading “2021 Hindi Christian Testimony Video | एक झूठे अगुआ की रिपोर्ट करने की कहानी”

आप यह नहीं जानते होंगे: सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु एक परमेश्वर हैं

आप यह नहीं जानते होंगे: सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु एक परमेश्वर हैं

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, “मुझे मसीहा भी कहा जाता था, और लोग कभी मुझे प्यार और सम्मान से उद्धारकर्ता यीशु भी कहते थे। किंतु आज मैं वह यहोवा या यीशु नहीं हूँ, जिसे लोग बीते समयों में जानते थे; मैं वह परमेश्वर हूँ जो अंत के दिनों में वापस आया है, वह परमेश्वर जो युग का समापन करेगा। मैं स्वयं परमेश्वर हूँ, जो अपने संपूर्ण स्वभाव से परिपूर्ण और अधिकार, आदर और महिमा से भरा, पृथ्वी के छोरों से उदित होता है। लोग कभी मेरे साथ संलग्न नहीं हुए हैं, उन्होंने मुझे कभी जाना नहीं है, और वे मेरे स्वभाव से हमेशा अनभिज्ञ रहे हैं। Continue reading “आप यह नहीं जानते होंगे: सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु एक परमेश्वर हैं”

परमेश्वर के दैनिक वचन | “तुम्हें मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए” | अंश 295

परमेश्वर के सामने अपने आप को शांत करो और उसके वचनों को पढ़ो ताकि तुम परमेश्वर की इच्छा और अपेक्षाओं को समझ सको, और उसको बेहतर जान सको।

परमेश्वर के दैनिक वचन | “तुम्हें मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए” | अंश 295

cऐसा इसलिए है, क्योंकि मनुष्य मेरे अनुकूल नहीं है। इस तरह, मैं जो कार्य करता हूँ, वह सिर्फ़ इसलिए नहीं किया जाता कि मनुष्य मेरी आराधना कर सके; बल्कि उससे भी अधिक महत्वपूर्ण रूप से वह इसलिए किया जाता है ताकि मनुष्य मेरे अनुकूल बन सके। Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “तुम्हें मसीह की अनुकूलता में होने के तरीके की खोज करनी चाहिए” | अंश 295″

परमेश्वर के दैनिक वचन | “तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है” | अंश 394

परमेश्वर के करीब आने के लिए हर दिन परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़ो। परमेश्वर आपके जीवन के हर दिन के माध्यम से आपका मार्गदर्शन करे।👇👇

परमेश्वर के दैनिक वचन | “तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है” | अंश 394

परमेश्वर के प्रति अपने विश्वास में लोगों का सबसे बड़ा दोष यह है कि उनका विश्वास केवल शाब्दिक होता है, और परमेश्वर उनके रोजमर्रा के जीवन से पूरी तरह अनुपस्थित होता है। दरअसल सभी लोग परमेश्वर के अस्तित्व में विश्वास तो करते हैं, लेकिन परमेश्वर उनके दैनिक जीवन का हिस्सा नहीं होता। परमेश्वर से बहुत सारी प्रार्थनाएँ लोग अपने मुख से तो करते हैं, किन्तु उनके हृदय में परमेश्वर के लिए जगह बहुत थोड़ी होती है, और इसलिए परमेश्वर बार-बार मनुष्य की परीक्षा लेता है। Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “तुम्हें सत्य के लिए जीना चाहिए क्योंकि तुम्हें परमेश्वर में विश्वास है” | अंश 394″

परमेश्वर के दैनिक वचन | “छुटकारे के युग के कार्य के पीछे की सच्ची कहानी” | अंश 23

दोस्तों, क्या आपने आज परमेश्वर के वचन पढ़ा है? मैं आपके साथ परमेश्वर के दैनिक वचन का एक अंश साझा करना चाहता हूं कृपया अपने दिल को शांत करें और इसे पढ़ने के लिए कई मिनट लें। यह आपको ईश्वर का अधिक ज्ञान प्राप्त करने में मदद करेगा।👇👇

परमेश्वर के दैनिक वचन | “छुटकारे के युग के कार्य के पीछे की सच्ची कहानी” | अंश 23

यद्यपि यीशु, अपने देहधारण में पूरी तरह से भावना रहित था, फिर भी वह हमेशा अपने चेलों को दिलासा देता था, उनका भरण-पोषण करता था, उनकी सहायता करता था और उन्हें जीवित रखता था। उसने कितना भी अधिक कार्य किया या उसने कितना भी अधिक दर्द सहा, फिर भी उसने कभी भी लोगों से बहुत ज़्यादा माँग नहीं की, बल्कि उनके पापों के प्रति हमेशा धैर्यवान था और सहनशील था, इतना कि अनुग्रह के युग में लोग उसे स्नेह के साथ “प्यारा उद्धारकर्ता यीशु” कहते थे। Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “छुटकारे के युग के कार्य के पीछे की सच्ची कहानी” | अंश 23″

परमेश्वर के दैनिक वचन | “एक सामान्य आत्मिक जीवन लोगों की सही मार्ग पर अगुवाई करता है” | अंश 413

यदि आप वास्तव में प्रभु में विश्वास करते हैं, तो जिस चीज को आपको कभी नहीं छोड़ना चाहिए वह यह है: परमेश्वर के साथ सामान्य संबंध बनाए रखने के लिए परमेश्वर के वचनों को पढ़ना।

परमेश्वर के दैनिक वचन | “एक सामान्य आत्मिक जीवन लोगों की सही मार्ग पर अगुवाई करता है” | अंश 413

सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहते हैं, “तुम लोग परमेश्वर के विश्वासी होने के मार्ग पर बहुत ही कम चले हो, और तुम लोगों का सही मार्ग पर प्रवेश करना अभी बाकी है, अतः तुम लोग परमेश्वर के मानक को प्राप्त करने से अभी भी दूर हो। इस समय, तुम लोगों का आध्यात्मिक कद उसकी अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। तुम लोगों की योग्यता और भ्रष्ट प्रकृति के कारण, तुम लोग हमेशा परमेश्वर के कार्य के साथ लापरवाही से पेश आते हो और इसे गंभीरता से नहीं लेते। यह तुम लोगों की सबसे बड़ी खामी है। Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “एक सामान्य आत्मिक जीवन लोगों की सही मार्ग पर अगुवाई करता है” | अंश 413″

परमेश्वर के दैनिक वचन | “प्रस्तावना” | अंश 24

क्या तुम्हें पता था? प्रभु यीशु के छुटकारे का कार्य समाप्त होने के बाद परमेश्वर ने नया कार्य किया है कई भाइयों और बहनों का ऐसा दृष्टिकोण है: प्रभु यीशु ने मानवजाति को छुड़ाने का कार्य पूरा कर लिया है, और हमें पापों से क्षमा कर दिया गया है और विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराया गया है, इसलिए जब विद्या आती है, तो हमें सीधे स्वर्ग के राज्य में ले जाया जा सकता है। क्या वास्तव में यह मामला है? आइए देखें कि प्रभु यीशु ने इस बारे में कैसे कहा।यदि आप सत्य के इस पहलू को और अधिक समझना चाहते हैं और प्रभु की वापसी का स्वागत करना चाहते हैं, तो आप परमेश्वर के दैनिक वचन पढ़ सकते हैं।👇👇

परमेश्वर के दैनिक वचन | “प्रस्तावना” | अंश 24

यहोवा के कार्य के बाद, यीशु मनुष्यों के बीच में अपना कार्य करने के लिये देहधारी हो गया। उसका कार्य एकाकीपन में नहीं किया गया, बल्कि यहोवा के कार्य पर किया गया। यह नये युग के लिये एक कार्य था जब परमेश्वर ने व्यवस्था के युग का समापन कर दिया था। Continue reading “परमेश्वर के दैनिक वचन | “प्रस्तावना” | अंश 24″