सीसीपी सरकार और धार्मिक जगत के द्वारा फैलाये गये अफवाहों में विश्वास करने की समस्या की प्रकृति क्या है?

परमेश्वर के प्रासंगिक वचन:

जो सत्य को नहीं समझते हैं वे हमेशा दूसरों का अनुसरण करते हैं: यदि लोग कहते हैं कि यह पवित्र आत्मा का कार्य है, तो तुम भी कहते हो कि यह पवित्र आत्मा का कार्य है; यदि लोग कहते हैं कि यह दुष्टात्मा का कार्य है, तो तुम्हें भी संदेह हो जाता है, या तुम भी कहते हो कि यह किसी दुष्टात्मा का कार्य है। तुम हमेशा दूसरों के शब्दों को तोते की तरह कहते हो और स्वयं किसी भी चीज का अंतर करने में असमर्थ होते हो, न ही तुम स्वयं सोचने में सक्षम होते हो। Continue reading “सीसीपी सरकार और धार्मिक जगत के द्वारा फैलाये गये अफवाहों में विश्वास करने की समस्या की प्रकृति क्या है?”

धार्मिक जगत इतनी मेहनत लगाकर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा और पागलों की तरह विरोध क्यों करता है?

 

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

एक और दृष्‍टान्त सुनो : एक गृहस्वामी था, जिसने दाख की बारी लगाई, उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा, उसमें रस का कुंड खोदा और गुम्मट बनाया , और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया। जब फल का समय निकट आया, तो उसने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा। पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला, और किसी पर पथराव किया। फिर उसने पहलों से अधिक और दासों को भेजा, और उन्होंने उनसे भी वैसा ही किया। अन्त में उसने अपने पुत्र को उनके पास यह सोच कर भेजा कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे। परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, ‘यह तो वारिस है, आओ, इसे मार डालें और इसकी मीरास ले लें।’ अत: उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला” (मत्ती 21:33-39)। Continue reading “धार्मिक जगत इतनी मेहनत लगाकर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा और पागलों की तरह विरोध क्यों करता है?”

अफवाहें कहाँ से आती हैं और इन्हें कैसे बनाया जाता है?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद:

यहोवा परमेश्‍वर ने जितने बनैले पशु बनाए थे, उन सब में सर्प धूर्त था; उसने स्त्री से कहा, क्या सच है कि परमेश्‍वर ने कहा, ‘तुम इस वाटिका के किसी वृक्ष का फल न खाना’? स्त्री ने सर्प से कहा, ‘इस वाटिका के वृक्षों के फल हम खा सकते हैं; पर जो वृक्ष वाटिका के बीच में है, उसके फल के विषय में परमेश्‍वर ने कहा है ‘कि न तो तुम उसको खाना और न उसको छूना, नहीं तो मर जाओगे।
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